Friday, 23 March 2018

डॉ बाबासाहब और ओबीसी का रिश्ता ?




”डॉ बाबासाहब और ओबीसी का रिश्ता ?”


इस देश में ओबीसी का ‘संवैधानिक जन्मदाता’ और ‘संवैधानिक रखवाला’ कोई और नहीं बल्कि ”डॉ बाबासाहब आंबेडकर” ही है !
सबूत =
1928 में बोम्बे प्रान्त के गवर्नर ने ‘स्टार्ट’ नाम के एक अधिकारी की अध्यक्षता में पिछड़ी जातियों के लिए एक कमिटी नियुक्त की थी. इस कमिटी में डो. बाबा साहेब आम्बेडकर ने ही शुद्र वर्ण से जुडी जातियों के लिए ” OTHER BACKWARD CAST ” शब्द का उपयोग सब से प्रथम किया था, इसी शब्द का शोर्टफॉर्म ओबीसी है, जिसको सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हुई जाति के रूप में आज हम पहेचानते है और उनको पिछड़ी जाति या ओबीसी कहते है.
स्टार्ट कमिटी के समक्ष अपनी बात रखते हुवे डो. बाबा साहेब आम्बेडकर ने देश की जनसंख्या को तीन भाग में बांटा था.
– – – -(1) अपरकास्ट(Upercast) जिसमे ब्राह्मण, क्षत्रिय-राजपूत और वैश्य जैसी उच्च वर्ण जातियां आती थी.
– – – -(2) बेकवर्ड र्कास्ट(Backward cast) जिसमे सबसे पिछड़ी और अछूत बनायीं गई जातियां और आदिवासी समुदाय की जातियां को समाविष्ट की गई थी.
– – – -(३) जो जातियां बेकवर्ड कास्ट और अपर कास्ट के बिच में आती थी ऐसी शुद्र वर्ण की मानी गई जातियो के लिए Other backward cast शब्द का प्रयोग किया गया था, जिसको शोर्टफॉर्म में हम ओबीसी कहते है.
बाबासाहब ने ही संविधान की ३४० धारा में ओबीसी को पहचान उनकी गिनती कर उनको उनकी संख्या के अनुपात में जातिगत आरक्षण का प्रावधान किया ,क्यों की उस समय तक ओबीसी की जातियों की लिस्ट ही नहीं बनी थी
बाबासाहब ने ही ओबीसी के संवैधानिक ३४० कलम को लागू करवाने का दबाव ,ब्राह्मणी कांग्रेस पर डाला ,पर ब्राह्मणी कांग्रेस का ब्राह्मण प्रधानमन्त्री नेहरू तैयार नहीं हुआ इसीलिए बाबासाहब ने अपने कैबिनेट मंत्री पद और ब्राह्मणी कांग्रेस दोनों से इस्तीफा दे डाला
ओबीसी के लिए कैबिनेट स्टार का मंत्रिपद को लात मारनेवाला भारत का एक मात्र नेता ”बाबासाहब आंबेडकर” ही है ,पर यह बात आजतक ओबीसी से ब्राह्मणों ने छुपायी
बाबासाहब के दबाव के कारन ही बाद में ब्राह्मण नेहरू ने ब्राह्मण जात काका कालेलकर को ओबीसी की जातियों को पहचाननने के लिए कमिशन बनाया
-संविधान की कलम 340 के अनुसार राष्ट्रपति एक कमीशन नियुक्त करेंगे और कमीशन ओबीसी जातियों की पहेचान करके उनके विकास के लिए जो शिफारिशों करेगा उनको अमल में लायेंगे. संविधान की कलम 15-(4), 16(4) के अनुसार ओबीसी जातियों के सरकारी तन्त्र में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए सरकार उचित कदम उठाएगी.
-शासन और प्रशासन में प्रभुत्व जमाये बैठे ब्राह्मणी जातिवादियो ने ”ओबीसी” के लिए नियुक्त काका कालेलकर (ब्राह्मण जात का ) कमीशन रिपोर्ट 1953-1955 के रिपोर्ट को संसद की समक्ष भी नहीं रखा और कालेलकर कमीशन रिपोर्ट को कभी भी मान्यता नहीं दी या लागु भी नहीं किया.
-1978 में केन्द्र सरकार ने ओबीसी के लिए दूसरा कमीशन बीपी मंडल की अध्यक्षता में नियुक्त किया. मंडल कमीशन रिपोर्ट-1980 को भी सत्ता मे प्रभुत्व जमाये बैठे जातिवादियो ने लागु करने की जरुरत न समजी और 1989 तक मंडल रिपोर्ट सचिवालय की अलमारी में धुल खाते रहा.
-7 अगस्त 1990 के दिन केन्द्र सरकार ने देश के 52 % ओबीसी समुदाय के लिए मंडल कमीशन की सिफ़ारीश अनुसार केन्द्रीय नौकरियों में 27 % ओबीसी आरक्षण लागु करने की घोषणा की, जिसके विरोध में ब्राह्मणों ने देशभर में मंडल विरोधी आंदोलन प्रारंभ किया.
—— -मंडल कमीशन की दूसरी सिफारिश शिक्षा मे 27 % आरक्षण देरी से 2006-7 मे लागु किया गया.

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Questions Paper@ IGNOU BPSC-133 : तुलनात्मक सरकार और राजनीति

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