बौद्ध धर्म के प्रमुख दर्शन
- अनीश्वरवादी धर्म- बौद्ध धर्म ईश्वर की सत्ता नहीं मानता।
- नास्तिक दर्शन/ धर्म – वेदों की प्रमाणिकता का खंडन करता है,अर्थात् वेदों में आस्था नहीं रखता।
- वर्ण व्यवस्था का विरोध
- यज्ञ, कर्मकांड, पशुबलि का विरोध
- क्षणिकवाद / क्षणभंगुरवाद –
- जीवन और जगत की प्रत्येक घटना का अस्तित्व क्षणमात्र है।
- जीवन और जगत की प्रत्येक घटना प्रतिक्षण परिवर्तनशील है।
- स्थिर कुछ भी नहीं है।
- अनात्मवाद / नैरात्मवाद – यह बौद्ध धर्म का आत्मा संबंधी सिद्धांत है। इसके अनुसार आत्मा प्रतिक्षण परिवर्तनशील है तथा यह पंच स्कंधों का संघात(योग, जोङ) है।
- अनात्मवाद का शाब्दिक अर्थ है(आत्मा का अस्तित्व न होना)। चूँकि बौद्ध धर्म में आत्मा को परिवर्तनशील माना गया है,अतः अन्य धर्मों में आत्मा के माने गये गुण (शाश्वत, नित्य, स्थाई, अजर, अमर आदि) समाप्त होते हैं । इस रूप में बौद्ध दर्शन में आत्मा संबंधी सिद्धांत को अनात्मवाद कहा गया है।
- पंच स्कंद(रूप, वेदना, विज्ञान, संज्ञा, संस्कार)। इनमें से 4 को (वेदना, विज्ञान, संज्ञा, संस्कार) नाम कहा गया है।
- बौद्ध धर्म कर्म एवं पुनर्जन्म को स्वीकार करता है। तथा पुनर्जन्म के लिये कर्मों को उत्तरदायी मानता है।
प्रतीत्यसमुत्पाद एवं द्वादश निदान (12 उपचार)-
यह बौद्ध दर्शन का केन्द्रीय सिद्धांत है।
यह बौद्ध दर्शन का कारणता / कार्य – कारण सिद्धांत है। इसके अनुसार जीवन और जगत की प्रत्येक घटना एवं कार्य- कारण पर निर्भर रहते हैं।

एकता जैन,शोधार्थी ,दिल्ली विश्वविद्यालय
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