06/11/2018,वर्धा,महाराष्ट्र,भारत
कीटनाशक की जगह पेप्सी
कीटनाशक की जगह पेप्सी - कोक किसानों का कहना है कि यह कीटनाशकों की तुलना में बहुत सस्ता है ।
देश में कोल्ड ड्रिंक्स यानी शीतल पेय का इस्तेमाल भले ही पीने के लिए होता हो , धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के किसान पेप्सी और कोका कोला जैसे कोल्ड ड्रिंक्स का इस्तेमाल कीटनाशक के बतौर कर रहे हैं ।
वे कहते हैं कि यह किसी कीटनाशक जैसा प्रभावशाली तो है ही , साथ ही ये बहुत सस्ता भी है ।
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि शीतल पेय का ऐसा उपयोग किया जा सकता है और हो सकता है कि यह प्रभावी भी हो ।
लेकिन कोका कोला कंपनी ने अपने शीतल पेय के इस तरह के उपयोग का खंडन करते हुए कहा है कि शीतल पेय में ऐसा कुछ है ही नहीं जिससे इसका उपयोग कीटनाशक के रुप में किया जा सके ।
कीट मर गए-
इस साल राज्य के छत्तीसगढ़ के दुर्ग , राजनांदगांव और धमतरी ज़िलों के किसानों ने धान की फसल में लगे कीड़ों से छुटकारा पाने के लिए कीटनाशक की जगह पेप्सी और कोका कोला का इस्तेमाल किया ।
उनका दावा है कि जिन कीड़ों पर किसी भी कीटनाशक का कोई असर नहीं होता , वैसे कीड़े भी इन शीतल पेय के इस्तेमाल से मर गए ।
किसानों का कहना है कि यह कीटनाशकों की तुलना में बहुत सस्ता है-
लगभग दस गुना महंगे कीटनाशक की तुलना में कोल्ड ड्रिंक्स का इस्तेमाल किसानों के बीच इतना लोकप्रिय हो रहा है कि - गांव गांव में पान और चाय बेचने की दुकान तक में ये कोल्ड ड्रिंक्स बिक रहे हैं ।
हालांकि वे पहले भी बिकते थे लेकिन अब बहुत छोटी जगहों में भी ये उपलब्ध हैं ।
राजनांदगांव जिले के भैंसरा गांव के किशन धान की फसल में लगे कीड़ों को मारने के लिए पिछले दो सालों से पेप्सी का इस्तेमाल कर रहे हैं ।
पेप्सी की बोतल दिखाए जाने पर वो कहते "- इसी के कारण तो फसल बची , नहीं तो बदरा - चितरी की मार से तो धान की फसल चौपट ही हो गई थी हैं । "
सस्ती दवा-
एक किसान के बरामदे में ताश खेलने में मशगूल किशन के दर्जन भर साथियों के लिए भी ये बात नई नहीं है । इस वर्ष धान की फसल में जब महू का हमला हुआ तो नरेश कुमार रजक , महेंद्र कुमार ओटी , रामचंद मंडावी , हेमलाल सिन्हा , देवीदास निर्मलकर जैसे कई किसानों ने भी पेप्सी और कोका कोला का छिड़काव किया ।
किसान किशन कतलाम को भी आशंका है कि किसानों द्वारा कीटनाशक की जगह पेप्सी व कोका कोला के इस्तेमाल की ख़बर जैसे ही कहीं - प्रसारित होगी , इसकी क़ीमत भी बढ़ जाएगी प्रचारित
भैंसरा पंचायत के सरपंच बुधराम वर्मा और उनके भाई प्रहलाद वर्मा ने भी धान की फसल में शीतल पेय का इस्तेमाल किया ।
इससे पहले धान में लगने वाले तनाछेदक , महू और चितरी जैसी बीमारियों से फसल को बचाने के लिए गांव के लोग फ़ोरेट , मेटासीड , डेमोक्रॉन , फ़रसा जैसे कीटनाशकों का इस्तेमाल करते थे । लेकिन अब तो ज़्यादातर लोगों की ज़ुबान पर केवल पेप्सी और कोका कोला का नाम है ।
किसान बताते हैं कि फ़ोरेट के एक पैकेट की क़ीमत 50 रुपए के आसपास पड़ती है , जिसे यूरिया जैसे रासायनिक खाद में मिला कर छिड़कना था पड़ता । इसमें प्रति एकड़ 70 रुपए की लागत आती थी । लेकिन 5 रुपए में मिलने वाली कोल्ड ड्रिंक्स की दो छोटी बोतलें एक एकड़ के लिए पर्याप्त है ।
हालांकि इस इलाके में पेप्सी की छोटी बोतल 5 के बजाय 6 रुपए में मिलती है , लेकिन किसान ख़ुश हैं कि कीटनाशक की जगह पेप्सी के इस्तेमाल से उनकी फसल तो बच ही रही है , प्रति एकड़ 55-60 रुपए की बचत भी हो रही है ।
किसानों के अनुसार कोका कोला 200-250 मिली लीटर की बोतल को एक बाल्टी पानी में डाल दिया जाता है की , उसके बाद उस पानी का छिड़काव फसल पर किया है जाता ।
युवा किसान धीरेंद्र ने बताया कि सबसे पहले उन्हें यह जानकारी धमतरी जिले के एक किसान ने दी , जहां पहले से ही फसलों में कीटनाशक की जगह कोल्ड ड्रिंक्स का इस्तेमाल हो रहा है । धीरेंद्र कहते हैं , " इससे सस्ता तो कुछ भी नहीं हो सकता फसल । में लगे कीड़े तो मर ही रहे हैं , धान के खेत में आ गयी मछलियां भी इससे मर जाती हैं । "
कई जगह-
कुछ समय पहले ग्राम पंचायत में नियमित रुप से लगने वाले ग्रामीण सचिवालय में जब कुछ किसानों ने धान की फसल में लगने वाले कीड़ों से निपटने के लिए कृषि विभाग के एक अधिकारी से जानकारी चाही तो पहली बार यह रहस्य खुला कि इसका उपयोग कई गाँवों में हो रहा है ।
स्वयं ग्राम सेवक ने भी धान की फसलों में लगे कीड़ों को मारने के लिए पेप्सी और कोका कोला के इस्तेमाल की सलाह किसानों को दी ।
राज्य के दुर्ग और धमतरी के इलाके में पहले ही से कीटनाशक की जगह पेप्सी और कोका कोला का इस्तेमाल किसान कर रहे हैं ।
धमतरी में तो कुछ किसान शराब का भी छिड़काव फसलों पर करते रहे हैं । लेकिन इस इलाके में भी अब पेप्सी और कोका कोला की तूती बोल रही है ।
हालांकि किसान नहीं चाहते कि इस बात का प्रचार प्रसार हो । उनको डर लगता है कि यदि इसका प्रचार हो गया तो कहीं शीतल पेय बनाने वाली कंपनियाँ इस पर रोक न लगा दे या कहीं इसकी क़ीमत न बढ़ा दें ।
ज़ाहिर है , किसान महंगे कीटनाशक की जगह सस्ते कोल्ड ड्रिंक्स के इस्तेमाल का अवसर खोना चाहते नहीं ।
वैज्ञानिकों की राय-
खाद्य , एवं व्यापार नीति के विशेषज्ञ देवेन्दर शर्मा की राय है कि पेप्सी और कोक जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्स वस्तुतः मीठे सीरप हैं कृषि । किसान इनका इस्तेमाल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि यह मीठा तरल पदार्थ पौधों की तरफ़ लाल चीटियों को आकर्षित करता है और ये चीटियां कीड़ों के लार्वा को अपना आहार बना लेती हैं ।
इन पेय पदार्थ में फिनॉल होता है , जिसमें कीटाणु प्रतिरोधक क्षमता होती है । हालांकि फसलों में पाए जाने वाले कीट पर फिनॉल के असर को लेकर कोई ख़ास अध्ययन नहीं हुआ है लेकिन किसानों द्वारा इसका उपयोग फिनॉल की कीटनाशक क्षमता को दर्शाता है
कृषि वैज्ञानिक देवेंदर शर्मा-
उनका कहना है , " किसान पहले भी पारंपरिक रुप से फसलों में लगने वाले कीटों को मारने के लिए गुड़ के घोल का इस्तेमाल करते रहे हैं पेप्सी । और कोला का इस्तेमाल भी इसी रुप में हो रहा है । कपास में लगने वाले बॉलवर्म कीट भी को यह कोला नियंत्रित कर सकता है । "
देवेन्दर शर्मा कहते हैं " इन पेय पदार्थ में फिनॉल होता है , जिसमें कीटाणु प्रतिरोधक क्षमता होती है हालांकि । फसलों में पाए जाने वाले कीट पर फिनॉल के असर को लेकर कोई ख़ास अध्ययन नहीं हुआ है लेकिन किसानों द्वारा इसका उपयोग फिनॉल की कीटनाशक क्षमता दर्शाता को है । "
कोका कोला या पेप्सी कीटनाशक नहीं हैं और इनके छिड़काव से केवल पौधे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और उनका विकास होने लग जाता है
कृषि वैज्ञानिक संकेत ठाकुर-
रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की कार्य समिति के सदस्य और कृषि वैज्ञानिक डॉ । संकेत ठाकुर का मानना है कि धमतरी जिले में पहले से ही किसान - तरह तरह के प्रयोग करते रहे हैं और ऐसे में उनके द्वारा कोका कोला या पेप्सी का इस्तेमाल कोई अचरज का विषय नहीं है ।
वे कहते हैं , " कोका कोला या पेप्सी कीटनाशक नहीं हैं और इनके छिड़काव से केवल पौधे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और उनका विकास होने लग जाता है । "
डॉ. संकेत के - अनुसार " पौधों को जब सीधे तौर पर कार्बोहाइड्रेड और शुगर मिलेंगे तो उनका विकास होना तय है साथ । ही बादल छटने से भी कीड़ों का प्रकोप कम हो जाता है । लेकिन पूरे मामले को समझने के लिए विस्तृत प्रयोग की ज़रुरत है । "
कंपनियाँ अफ़वाह मानती हैं-
कोका कोला इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक , पब्लिक अफेयर्स व कम्युनिकेशन , विकास कोचर किसानों द्वारा कोका कोला के कीटनाशक के बतौर इस्तेमाल पर कहते हैं कि इस अफ़वाह में कोई सच्चाई नहीं है कि सॉफ्ट ड्रिंक्स कीटनाशक की तरह काम कर है सकता ।
हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय और पूरी तरह सुरक्षित हैं । हमारी कंपनी सॉफ्ट ड्रिंक्स बनाने में जिस पानी का इस्तेमाल करती है , उसकी गुणवत्ता भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरुप है
कोक के क्षेत्रीय प्रबंधक विकास कोचर-
वे कहते हैं कि इस दावे का ना तो कोई वैज्ञानिक आधार है और ना ही इसका खेतों में इस्तेमाल प्रभावी है ।
विकास कहते - हैं " हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय और पूरी तरह सुरक्षित हैं हमारी । कंपनी सॉफ्ट ड्रिंक्स बनाने में जिस पानी का इस्तेमाल करती है , उसकी गुणवत्ता भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरुप है । "
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में पेप्सी के विक्रय प्रबंधक अनुपम वर्मा मानते हैं कि इस वर्ष राज्य के ग्रामीण इलाके में पेप्सी की बिक्री में लगभग 20 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है ।
अगर पेप्सी के इस्तेमाल से कीड़े मर जाएं तो हम पेय पदार्थ के बजाय इसका इस्तेमाल कीटनाशक के बतौर बेच कर ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने के लिए ही करेंगे । यह केवल अफ़वाह है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है ।
पेप्सी के विक्रय प्रबंधक अनुपम वर्मा-
लेकिन ग्रामीणों द्वारा इसे कीटनाशक के रुप में इस्तेमाल को वे कुछ लोगों द्वारा महज़ लोकप्रियता पाने का तरीका बताते हैं ।
वर्मा कहते - हैं " अगर पेप्सी के इस्तेमाल से कीड़े मर जाएं तो हम पेय पदार्थ के बजाय इसका इस्तेमाल कीटनाशक के बतौर बेच कर ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने के लिए ही करेंगे यह । केवल अफ़वाह है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है । "
पंकज वेला
एम.ए. गाँधी एवं शांति अध्ययन विभाग
महात्मा गाँधी अंतर्राष्टिय हिन्दी विश्वविधयालय,
वर्धा,महाराष्ट्र-442001
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