अब अन्तिम बात । गांधीजी को भारत-विभाजन रोकना चाहिए था,
यह मा!ग ये लोग किस मु!ह से करते हैं
? गांधीजी को विभाजन रोकने के लिए
उपवास करना चाहिए था, ऐसी अपेक्षा करने का इनको क्या नैतिक-अधिकार है
? जिसको आप देश के लिए कलंक समझते हैं,
जिसका वध करना जरूरी मानते हैं, उसी से आप ऐसी अपेक्षाए! भी रखते हैं?
आपने क्यों नहीं विभाजन को रोकने के लिए कुछ किया
? सावरकर, हेडगेवार, गोलवलकर ने विभाजन के विरुद्ध क्यों नहीं आमरण उपवास किया
? क्यों नहीं इसके लिए उन्होंने
हिन्दुओं का व्यापक आन्दोलन चलाया ? जिसको गालिया! देते हों, उसी से देश बचाने की गुहार भी लगाते हो
? और जब गांधीजी अकेले पड जाने के कारण
देश का विभाजन रोक नहीं पाये, तब आप उनको राक्षस मानकर उनका वध करने की साजिश रचते हो
? इसको मर्दानगी कहेंगे या नपुंसकता
?
मैंने गोपाल गोडसे तथा अन्य दूसरे अनेक हिन्दुत्ववादी
विद्वानों के समक्ष ऐसे सवाल उठाये हैं, लेकिन किसी के पास इसका कोई उनर नहीं है । इन सबके बावजूद
भी ये अपनी डम्ग हा!कने से बाज नहीं आते हैं । सत्य को जानते हुए भी जो असत्य का
प्रचार करे, उसको धूर्त ही कहेंगे । हिन्दुत्ववादी पहले दर्जे के धूर्त हैं ।
ये हिन्दुत्ववादी लगातार जो तीन झूठ बोल रहे हैं,
उसमें से इस पहली झूठ की हकीकतों को हमने देखा ।
भारत-विभाजन के लिए गांधीजी जिम्मेदार नहीं थे ।
भारत-विभाजन के लिए कई ऐतिहासिक तथा सामयिक तन्व एवं ताकतें जिम्मेदार थी ।
ब!टवारा चाहने वाले मुसलमान जिम्मेदार थे, अंग्रेज जिम्मेदार थे तथा उनके कारनामों के लिए अनुकूल राह बनाने-दिखाने वाले मूर्ख हिन्दुत्ववादी
जिम्मेदार थे ।
पंकज ‘वेला’
9:45 PM.
20/08/2017
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