जय हिन्द....बाउजी प्रणाम। .....
मेक इन इंडिया का मकसद देश को मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाना है। भारत के निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसके तहत घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों को मूल रूप से एक अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने का वायदा किया गया है I यह पहल जनता जनादेश के आह्वान- ‘एक आकांक्षी भारत’ का समर्थन करती है। साथ ही निवेशकों से आग्रह भी किया गया हैं कि वे भारत को सिर्फ बाजार के रूप में न देखें बल्कि इसे एक अवसर समझें। भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां लोकतंत्र, जनसंख्या और मांग का अनोखा मिश्रण है।
भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (Micro, Small, and Medium Enterprizes, MSME) से यह सुनिश्चित करने के लिए आग्रह किया है कि देश में वस्तुओं का निर्माण करने में उत्पाद में कोई दोष न हो (जीरो डिफेक्ट, ZERO DEFECT) और उसके निर्माण के दौरान पर्यावरण पर कोई प्रभाव न पड़े (जीरो इफ़ेक्ट, ZERO EFFECT)|ऊर्जा आधुनिक जीवन शैली का अविभाज्य अंग बन गयी है। ऊर्जा के बिना आधुनिक सभ्यता के अस्तित्व पर एक बहुत
बडा प्रश्न-चिह्न लग जायेग I
इस पहल (Make in India) का एक उद्देश्य भारत में रोजगार सृजन और कौशल क्षमता बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था के 25 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना है। इन क्षेत्रों में से कुछ हैं: ऑटोमोबाइल, रसायन, आईटी, फार्मा, वस्त्र, बंदरगाह, विमानन, चमड़ा, पर्यटन और आतिथ्य, कल्याण, रेलवे, डिजाइन, विनिर्माण, अक्षय ऊर्जा, खनन, जैव प्रौद्योगिकी, और इलेक्ट्रॉनिक्स।
मेक इन इण्डिया के तहत ही सरकार ने पर्यावरण, वन और जलवायु आदि से सम्बंधित सुरक्षा की दृष्टि कई अधिनियमों और समितियों को सामिल किया एवं उनकी समीक्षा भी की हैं ,जैसे:-पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम;1986 , वन (संरक्षण) अधिनियम; 1980, वन्यजीव (सुरक्षा) अधिनियम; 1972, जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण ) अधिनियम; 1974, वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण ) अधिनियम; 1981 जैसे अधिनियमों की समीक्षा करना था.मेक इन इण्डिया अभियान की सफलता का एक लक्ष्य पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता और चुनौतियों को पूर्ण रूप से सुनिश्चित करना रखा गया हैं ।
दुनिया में बढ़ते तापमान की वज़ह से कई संक्रामक
रोगों के प्रसार में वृद्दि हुई है. इसके अलावा विकासशील देशों में भोजन और साफ़
पेय जल की आपूर्ति में कमी हो रही है. समशीतोष्ण जलवायु वाले देशों में प्रदूषण के
कारण बढ़ती गर्मी से मरने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है.
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