वास्तविक काव्यलक्षण का प्रारंभ किस आचार्य से
होता है जिन्होंने शब्द और अर्थ के सहभाव (शब्दार्थोसहितौ काव्यम् ) को काव्य की
संज्ञा दी है --> भामह से
शब्द अर्थ संगम सहित भरे चमत्कृत भाय।
जग अद्भुत में अद्भुतहिँ , सुखदा काव्य बनाए ॥
पंक्ति है --> ग्वाल
कवि (रसिकानंद)
प्रतिभा के दो भेद (सहजा और उत्पाद्या ) किसने
किये -->
रुद्रट ने
प्रतिभा को काव्य निर्माण का एकमात्र हेतु
मानने के कारण किस आचार्य के प्रतिभावादी कहा जाता है -->
पंडितराज जगन्नाथ को
प्रतिभा के दो भेद 'कारयित्री' और 'भावयित्री'
किस आचार्य ने किए हैं --> राजशेखर ने
भावयित्री प्रतिभा किसमे होती है -->
सहृदय में
भारतीय काव्यशात्र में 'भावक' से अभिप्राय है? --> सहृदय
या आलोचक से
"शरीरं तावदिष्टार्थ व्यवच्छिन्ना
पदावली" कथन किसका है--> दण्डी का
रीति सिद्धांत की उपलब्धि है -->
शैली तत्वों को महत्व देना
वामन के अनुसार गुण और रिति का संबंध है -->
अभेद
आचार्य कुंतक के अनुसार वक्रोक्ति के कितने
भेद हैे --> 6
वक्रोक्ति सिद्धांत की महत्वपूर्ण उपलब्धि
है-->
कलावाद की प्रतिष्ठा
कवः कर्म काव्यम् (कवि का कर्म ही काव्य है ) कथन किसका है --> कुन्तक
का
औचित्य विचार चर्चा , ग्रंथ किस आचार्य का है --> क्षेमेंद्र का
क्षेमेंद्र के अनुसार औचित्य के प्रधान भेद
हैं-->
27
क्षेमेंद्र ने रस का प्राण किसे माना है -->
औचित्य को
ध्वन्यालोक की टीका 'ध्वन्यालोकलोचन' किसने लिखी --> अभिनवगुप्त ने
ध्वनि सिद्धांत का प्रादुर्भाव व्याकरण के
स्पोट सिद्धांत से हुआ है
वैयाकरण ने वाक् (वाणी) के कितने प्रकार माने
है?-->
4
१• परा,
2• पश्यंती, ३• मध्यम, ४• बैखरी
आनन्दवर्धन का समय है -->
नवीं शती का मध्य
आनन्दवर्धन ने व्यंग्यार्थ के तारतम्य के आधार
पर काव्य के कितने भेद किये है--> 3
ध्वनि,
गुणिभूत व्यंग,
चित्र
आनन्दवर्धन ने ध्वनि के कितने प्रकार माने
है-->
3
वस्तु ध्वनि,
अलंकार
ध्वनि,
रसध्वनि
आनंद वर्धन के अनुसार रीति के चार नियामक है
-->
वक्त्रोचित्य ,
वाच्योचित्य ,
विषयोचित्य ,
रसोचित्य
अभिनव गुप्त ने ध्वनि के कितने भेद किए हैं -->
35
मम्मट ने के ध्वनि के शुद्ध भेदों की संख्या
स्वीकार की है --> 51
पंडित राज जगन्नाथ काव्य के कितने भेद किए हैं
-->
4
उत्तमोत्तम--> उत्तम-->
मध्यम--> अधम
आचार्यो ने व्यंग्यार्थ की प्रधानता गौणता एवं
अभाव के आधार पर काव्य के कितने भेद किए हैं --> 3
उत्तम --
मध्यम--
अधम--
आधुनिक काल के प्रारंभिक समय में से सेठ
कन्हैयालाल पौद्दार ने काव्यकल्पद्रुम नामक ग्रंथ की रचना की जो आगे चलकर रसमंजरी
और अलंकार मंजरी के रुप में प्रकाशित हुआ
हृदयदर्पण नामक ग्रंथ की रचना किसने की -->
भट्टनायक ने
हिंदी वक्रोक्ति जीवित की भूमिका किसने लिखी
-->
नगेंद्र ने
रस निरुपण के प्रथम व्याख्याता और रस निरुपण
का प्रथम ग्रंथ किसे माना जाता है --> भरत मुनि
व उनके नाट्यशास्त्र को भरत ने 8 स्थाई भाव , 8 सात्विक भाव, 33 संचारी भावों का उल्लेख किया है
किस आचार्य ने रीती को काव्य की आत्मा मान कर
रस के गुण के अंतर्गत स्थान दिया है और कांति गुण का वर्णन करते हुए रस से युक्त
माना है --> वामन
आचार्य रुद्रट ने शांत रस का स्थाई भाव किसे
माना है --> समयक ज्ञान
रस को ध्वनि के साथ युक्त करने का श्रेय किसे
है -->
आनंद वर्धन को
भोज ने 12 रसों का विवेचन किया है जिनमें चार
नवीन है --
> प्रेयस
> शांत
>
उदात्त
> उध्दात
भोज ने रस का मूल किसे माना है-->
अहंकार को
वाक्य रसात्मक काव्यम् कथन किसका है -->
विश्वनाथ का
आचार्य शुक्ल ने काव्य की आत्मा किसे माना
है-->
रस को
भट्टलोल्लक ने रस की अवस्थिति किसमें मानी
है-->
अनुकार्य में
किस आचार्य ने रस सूत्र की व्याख्या के संधर्भ
में काव्य में तीन शक्तियों की कल्पना की (अभिधा, भावक्त्व,
भोजकत्व) -->भट्टनायक ने
अभिनव गुप्त रस को मानते हैं -->
व्यंग
किस आलोचक के मतानुसार साधारणीकरण कवि की
अनुभूति का होता है --> नगेंद्र के अनुसार
भारतीय काव्यशास्त्र में भावक से अभिप्राय है
-->
सहृदय या आलोचक से
भावक(सहदय्) के कितने प्रकार माने गए है -->
4
१ अरोचकी [विवेकी],
२ सतृणाभ्यव्हारि [अविवेकी],
३ मत्सरी [पक्षपात
पूर्ण आलोचना करने वाला],
४ तत्त्वाभिनिवेशी
विभाव के कितने भेद हैं -->
2[आलम्बन और उद्दीपन ]
आलंबन विभाव के कितने भेद हैं -->
2
१•आलंबन
२•आश्रय
सात्विक अनुभाव की संख्या कितनी मानी गई है -->
आठ
आचार्य शुक्ल ने विरोध और अविरोध के आधार पर
संचारियों के कितने वर्ग किये हैं --> चार ;
१• सुखात्मक २•
दु:खात्मक ३• उभयात्मक ४• उदासीन
श्रृंगार को मूल रस किस आचार्य ने माना है-->
भामह ने
भक्ति रस का रस को मूल रास किसने माना है-->
मधुसूदन सरस्वती एव रूप गोस्वामी ने
शंकुक के अनुसार भरतमुनि के रस सूत्र में आये “संयोग ” शब्द का अर्थ है --> अनुमान
रस सिद्धांत के संबंध में तन्मयतावाद के
प्रतिष्ठापक है--> अभिनव भरत
एक के बाद एनी अनेक भावों का उदय होता है तो
उसे कहते है --> भाव सबलता
अवहित्था और अपस्मार क्या है ?-->
संचारी भाव का एक प्रकार
किस आलोचक के मतानुसार साधारणीकरण कवि भावना
का होता है --> नगेंद्र
अभिधा, भावकत्व और
भोग काव्य के तीन व्यापार किस आचार्य ने माने हैं --> भट्टनायक
ने
भाव-सन्धि, भाव सबलता
तथा भाव-शांति किस भाव की प्रमुख स्थितियां है --> संचारी
भाव की
अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य है -->
भामह
भरत मुनि ने कितने अलंकारों का उल्लेख किया है
?
--> 4
१• उपमा २•
रूपक ३• दीपक ४• यमक
अलंकार रत्नाकर नामक ग्रंथ के रचयिता है -->
शोभाकर मित्र
दण्डी ने गुणों की संख्या कितनी मानी है -->
10
आचार्य भोज ने अनुसार गुणों की संख्या है -->
24
वामन ने गुणों की संख्या मानी है -->
20
मम्मट, भामह तथा
आनंद वर्धन ने गुणों के भेद माने है --> 3
गुणों के प्रमुख भेद है -->
3
१• माधुर्य,
१• औज, ३• प्रसाद
वृत्ति का सर्वप्रथम वर्णन किस ग्रंथ में
मिलता है--> नाट्यशास्त्र में
भारतीय काव्यशास्त्र में कितनी काव्य
वृत्तियां मानी ग मानी गई है --> 3
१• परुषा
२• कोमल
३• उपनागरी
सर्वप्रथम दोष की परिभाषा किस आचार्य ने
प्रस्तुत की--> वामन ने
दंडी में कितने काव्य दोषों का वर्णन किया है
-->
10
वामन ने कितने काव्य दोषों का वर्णन किया है
-->
20
विश्वनाथ ने कितने दोषों का वर्णन किया है -->
70
काव्य दोषो का सर्वप्रथम निरुपण किस ग्रंथ में
मिलता है --> भारत कृत नाट्य शास्त्र में
दस के स्थान पर तीन काव्य गुणों की स्वीकृति
प्रथम किस आचार्य ने की--> भामह ने
प्रेयान नामक नवीन रस की उद्भावना किस आचार्य
ने की।-->
रुद्रट
आलोक का हिंदी भाष्य किसने लिखा-->
आचार्य विश्वेश्वर ने
भावप्रकाश नामक ग्रंथ के रचयिता है-->
शारदातनय
दण्डी ने कितने काव्य हेतु माने है -->
3
१• नैसर्गिकी
प्रतिभा
२• निर्मल
शास्त्र ज्ञान
३• अमंद अभियोग
[अभ्यास]
रुद्रट और कुंतक ने कितने काव्य हेतु माने है
-->
3
१• शक्ति,
२•व्युत्तपत्ति, ३•
अभ्यास
वामन ने कितने काव्य हेतु माने है -->
3
१• लोक,
२• विद्या , ३• प्रकीर्ण
व्यंग के तारत्मय के आधार पर काव्य के कितने
भेद माने जाते है --> 3
१•ध्वनि,
२• गुणीभूत व्यंगचित्र, ३•
चित्र
काव्यरुप(इंद्रियगम्यता) के आधार पर काव्य के
कितने भेद है --> 2
१• दृश्य काव्य,
२•श्रव्यकाव्य
दृश्यकाव्य[ रूपक] के कितने प्रमुख भेद है -->
10
श्रव्यकाव्य के कितने भेद हैं -->
3
१•गद्य,
•२ पद्य ,३ चंपू [ गद्य-पद्यमय काव्य]
लक्षणा के कुल कितने भेद माने जाते हैं -->
12
किस लक्षणा को अभिधा पुच्छभूता कहते है-->
रूढ़ि लक्षणा को
किस आचार्य ने लक्षणा के 80 भेदों का उल्लेख
किया है --> विश्वनाथ ने
मम्मट ने लक्षणा के कितने भेदों का उल्लेख
किया है --> 12
किस काव्य को चित्रकाव्य कहा जाता है -->
अधम काव्य को
बंध के आधार पर काव्य के कितने भेद हैं -->
2 ( १• प्रबंध २• मुक्त्तक)
पूर्वापर सम्बन्ध निरपेक्ष काव्य -रचना को
कहते हैं--> मुक्त्तक
पूर्वापर सम्बन्ध निर्वाह -सापेक्ष रचना को
कहते है --> प्रबंध
संस्कृत में साहित्य के लिए किस शब्द का
प्रयोग होता है --> वाङ्मय
तात्पर्य, क्या है -->
अभिधा, लक्षणा, व्यंजना
की तरह चौथे प्रकार की नई शब्द-शक्ति
भामह 'अभाववादी'
कहलाते है क्योंकि --> उन्होंने काव्य में
ध्वनि की सत्ता स्वीकार नहीं की है
प्रतिभा मात्र को ही काव्य का हेतु आवश्यक
सर्वप्रथम किसने माना --> हेमचंद्र ने
गुणिभूत व्यंग के कितने भेद होते हैं -->
8
वाच्यता असह,का
अन्य नाम है --> रस ध्वनि
भरत ने हास्य रस के कितने भेद माने हैं -->
6
कुंतक ने वक्रोति के भेद व उपभेद माने है -->
6 भेद व 41 उपभेद
हेतुर्न तु हेतव:’ पंक्ति है--> मम्मट की
जनश्रुति के आधार पर किस आचार्य कोरस के
प्रवर्तक होने का श्रेय दिया जाता है --> नंदिकेश्वर
को
भरत के नाट्यशास्त्र में भावों की संख्या 49
गिनाई है -->
१• स्थाई भाव-->
8
२• व्याभिचारी
भाव--> 33
३• सात्विक
भाव--> 8
8+33+8--> 49
आचार्य भामह ने काव्य हेतु किसे माना है -->
प्रतिभा को
किस आचार्य का कथन है कि संसार में जो कुछ
पवित्र उज्जवल एव दर्शनीय है ,वह श्रृंगार के भीतर
समाविष्ट हो सकता --> भरत मुनि
श्रृंगार रस को रसराज माना जाता हैे -->
कार्य -व्यापार की व्यापकता के कारण
भरत मुनि के रस सूत्र के प्रथम व्याख्याता
भटलोल्लट के रस- विवेचन का सैद्धांतिक आधार है --> मीमांसा
रस को दो वर्गो (सुखकारक व दुःख कारक )में
बाँटकार किन आचार्य ने करुण ,भयानक,वीभत्स और रौद्र को
दुःखकारक तथा शेष को सुख का कारक माना --> रामचंद्र एव गुणचन्द्र ने
नवरस नामक ग्रंथ के लेखक हे -->
बाबू गुलामराय
'रस कलश' नामक ग्रंथ
के लिए के लेखक है--> अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
सर्वप्रथम किस आचार्य ने रस को काव्य आत्मा
घोषित किया--> विश्वनाथ
रुद्रट तथा कुंतक ने काव्य-हेतुओं की संख्या
मानी है--> 3
१• शक्ति,
२•व्युत्पत्ति ”३•अभ्यास
राज शेखर ने रस का प्रतिष्ठाता किसे माना है
-->
नंदीकेश्वर को
भरत मुनि ने कितने रस, कितने गुण, कितने दोष तथा कितने अलंकारों का उल्लेख
किया है --
रस--> 8,
गुण--> 10,
दोष-->
20,
अलंकार--> 4
शब्दार्थो सहित काव्यम् , काव्य काव्य की इस परिभाषा में दोष है--> अतिव्याप्ति
प्रेयान नामक नवीन रस की उद्भावना किस आचार्य
ने की।-->
रुद्रट
आलोक का हिंदी भाष्य किसने लिखा-->
आचार्य विश्वेश्वर ने
भावप्रकाश नामक ग्रंथ के रचयिता है-->
शारदातनय
दण्डी ने कितने काव्य हेतु माने है -->
3
१• नैेसर्गिकी
प्रतिभा
२• निर्मल
शास्त्र ज्ञान
३•अमंद
अभियोग[अभ्यास]
रुद्रट और कुंतक ने कितने काव्य हेतु माने है
-->
3
१•शक्ति
२•व्युत्तपत्ति
३• अभ्यास
वामन ने कितने काव्य हेतु माने है -->
3
१• लोक,
२•विद्या ,
३•प्रकीर्ण
व्यंग के तारत्मय के आधार पर काव्य के कितने
भेद माने जाते है --> 3
१• ध्वनि,
२• गुणीभूत
व्यंगचित्र ,
३• चित्र
काव्यरुप(इंद्रियगम्यता) के आधार पर काव्य के
कितने भेद है --> 2
१• दृश्य काव्य,
२• श्रव्यकाव्य
दृश्यकाव्य[ रूपक] के कितने प्रमुख भेद है -->
10
श्रव्यकाव्य के कितने भेद हैं -->
3
१• गद्य,
२. पद्य ,
३. चंपू [गद्य-पद्यमय काव्य]
लक्षणा के कुल कितने भेद माने जाते हैं -->
12
किस लक्षणा को अभिधा पुच्छभूता कहते है-->
रूढ़ि लक्षणा को
किस आचार्य ने लक्षणा के 80 भेदों का उल्लेख
किया है --> विश्वनाथ ने
मम्मट ने लक्षणा के कितने भेदों का उल्लेख
किया है --> 12
किस काव्य को चित्रकाव्य कहा जाता है -->
अधम काव्य को
बंध के आधार पर काव्य के कितने भेद हैं -->
2
१• प्रबंध,
२• मुक्त्तक
पूर्वापर सम्बन्ध निरपेक्ष काव्य -रचना को
कहते हैं--> मुक्त्तक
पूर्वापर सम्बन्ध निर्वाह -सापेक्ष रचना को
कहते है --> प्रबंध
संस्कृत में साहित्य के लिए किस शब्द का
प्रयोग होता है --> वाङ्मय
'तात्पर्य' क्या है -->
अभिधा, लक्षणा, व्यंजना
की तरह चौथे प्रकार की नई शब्द-शक्ति
भामह 'अभाववादी'
कहलाते है क्योंकि --> उन्होंने काव्य में
ध्वनि की सत्ता स्वीकार नहीं की है
प्रतिभा मात्र को ही काव्य का हेतु आवश्यक
सर्वप्रथम किसने माना --> हेमचंद्र ने
गुणिभूत व्यंग के कितने भेद होते हैं -->
8
वाच्यता असह, का
अन्य नाम है --> रस ध्वनि
भरत ने हास्य रस के कितने भेद माने हैं -->
6
कुंतक ने वक्रोति के भेद व उपभेद माने है -->
6 भेद , व 41 उपभेद
'हेतुर्न तु हेतव:' पंक्ति
है--> मम्मट की
जनश्रुति के आधार पर किस आचार्य कोरस के
प्रवर्तक होने का श्रेय दिया जाता है --> नंदिकेश्वर
को
प्रस्तुतकर्त्ता-
पंकज ‘वेला’
एम।फिल। गाँधी एवं शांति अध्ययन विभाग,
महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय,
वर्धा ,महाराष्ट्र-442001
9990841992/9119568237
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